सन १९२३ में मुसलमानों की ओर से दो पुस्तकें " १९ वीं सदी का महर्षि "और "कृष्ण,तेरी गीता जलानी पड़ेगी " प्रकाशित हुई थी. पहली पुस्तक में आर्यसमाज का संस्थापक स्वामी दयानंद का सत्यार्थ प्रकाश के १४ सम्मुलास में कुरान की समीक्षा से खीज कर उनके विरुद्ध आपतिजनक एवं घिनोना चित्रण प्रकाशित किया था जबकि [...]

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